छत्रपती शिवाजी महाराज।

शिवाजी भोसले, जिन्हें छत्रपती शिवाजी महाराज के नाम से जाना जाता हैं। छत्रपती शिवाजी महाराज, एक भारतीय योद्धा और मराठा वंश के राजा थे। छत्रपती शिवाजी महाराज को आदिलशाह सलतनत की गुलमगीरी मंजूर नहीं थी। इसलिए उन्होंने कई लढाईया की, वो गनिमी कावा के रूप से बहुत सारी लढाईया जिती।१६७४ में शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ। तब उन्हें "छत्रपती" का किताब मिला, 
छत्रपती शिवाजी महाराज का जन्म १६३० में पुणे जिले के, जुन्नर शहर मे, शिवनेरी किले में हुआ। शिवाई देवी के नाम से पुत्र का नामकरण हुआ।" शिवाजी" 
छत्रपती शिवाजी महाराज के गुरु दादुजी कोंडदेव का नाम लिया जाता हैं। लेकीन उनकी असली शिक्षक उनकी माता जी ही थी।
जब शिवाजी महाराज थोड़े बड़े हो गए तब उनके पिताजी शाहजी राजे ने, उन्हें पुणे की जहांगीर सोप दी। लेकिन छत्रपती शिवाजी महाराज को आदिलशाही की जहागीर मंजूर नहीं थी। इसलिए उन्होंने मावल गाव के कुछ लोगों को इक्कठा किया और अपनी एक सेना बनानी शुरू कर दी। शिवाजी महाराज स्वराज का विस्तार तो करना चाहते थे,लेकिन उनके विस्तरनिती का मोल था। कम से कम नुकसान में, अधिक से अधिक विस्तार करना। उन्होंने लड़ने कि बजाए, संधियों, मित्रता, डर, छापा मार से दुश्मन को प्रस्थ करने की राजनीति बनाई। इस राजनीति में शिवाजी महाराज को सफलता मिलती गई। और उसके बाद शिवाजी महाराज ने खुद का किला रायगढ़ को निर्माण शुरू करवाया।
 शिवाजी महाराज ने उन लोगो को छापा मार युद्ध में सिखाया, और हिंदवी स्वराज का सपना दिखाया। उस समय लढाईयो में, किलो को अधिक महत्त्व था। इसलिए शिवाजी महाराज के १६ वर्ष की आयु में तोरना किले पर कब्ब्जा कर लिया। तोरण किला स्वराज का तोरण ही बन गया। उसी साल छत्रपती शिवाजी महाराज ने कोंढाणा (सिंहगड) और पुरंदर आदिलशाही से जीत लिए। पूरे पुणे में शिवाजी महाराज ने कब्ज़ा कर लिया।
इसके बाद मुर्मब का पहाड़ ठीकठाक करके उसका नाम राजगढ़ रख दिया।
छत्रपती शिवाजी महाराज ने आदिलशाही का एक एक किल्ला जित लिया। आदिलशाही की जहांगीर में जो किले थे, वो शिवाजी महाराज जीतते गए। सन १६८९ साल में आदिलशाह ने दरबार में, शिवाजी महाराज को खत्म करने की साज़िश रची, आदिलशाह की जहांगीर में एक आफजखन नाम का सैनिक था, वो क्रूरता और ताकत के लिए काफी जाना जाता था। उसने शिवाजी महाराज को खुले युद्ध करने के लिए उकसाने के लक्ष से बहुत सारे मंदिर को तोड डाला। कई बेगुनाह नागरिकों को खत्म कर दिया, मार दिया। शिवाजी महाराज उस ने चतुराई और रणकौशल का उपयोग करते हुए, छापा युद्ध चालू रखा, इस समय वो प्रतापगढ़ किले में रहे। कुछ समय बाद शिवाजी महाराज और आफजलख के बीच आमने सामने मिले और शिवाजी महाराज ने आफजलखन को करारी मौत दी।
सन १६६० में आदिलशाह ने अपने सेनापति सिद्धि जोहार को शिवाजी महाराज पर हमला करने भेजा, शिवाजी महाराज उस समय पन्हाळा किले पे थे। सिद्धि जोहार पे पन्हाळा किले को चारों ओर से घेर लिया था। उसी समय छत्रपती शिवाजी महाराज ने अपनी चालाखी और चतुरता से सिद्धि जोहार और आदिलशाह के बीच दुश्मनी पैदा की और वो एक दिन रात को, अपने सिपायो के साथ पन्हाला से बाहर निकल गए और विशालगढ़ की ओर रवाना हो गए।
छत्रपती शिवाजी महाराज और उसके पुत्र छत्रपती संभाजी महाराज उनका उल्लेख शिवसंभो ऐसा किया जाता हैं। छत्रपती शिवाजी महाराज के कालखंड को "शिवकाल" भी कहा जाता हैं।
छत्रपती शिवाजी महाराज की महानता सिर्फ उनकी बहादुरी और युद्ध में नहीं हैं, वो एक युद्ध प्रशासक भी थे। 
५ अप्रैल १६८० को ५२ साल की छोटीसी उम्र में उनकी मृत्यू हो गयी। 



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